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    ग्लूकोमा और मोतियाबिंद में क्या अंतर है ? जानिए एक्सपर्ट्स से क्या है उनकी राय

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    ग्लूकोमा और मोतियाबिंद दोनों ही आँखों से जुड़ी आम अपक्षयी नेत्र रोग होता है, जो अंधेपन होने का संभावित कारण बनता है | दोनों ही स्थितियां बढ़ती उम्र से संबंधित हो सकती है या फिर अधिक दृष्टि की कमी के कारण भी हो सकता है | यही कारणों है अक्सर वह लोग अक्सर भ्रमित में रहते है | हलाकि दोनों स्थितियों में कुछ कारणों में समानताएं होती है लेकिन यह दोनों समस्याएं बिलकुल भी एक सामना नहीं होते है | आइये जानते है ग्लूकोमा और मोतियाबिंद नेत्र रोग के बीच क्या है अंतर :- 

    चोपड़ा नेत्रालय के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सुमीत चोपड़ा ने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह बताया  की ग्लूकोमा एक तरह का आम नेत्र रोग होता है जिसके कारण ऑप्टिक तंत्रिका को काफी नुक़सान पहुंचता है, जो व्यक्ति के आँखों को उसके मस्तिष्क से जोड़ता है | यह समस्या आमतौर पर 70 वर्ष या फिर उससे भी अधिक लोगो को ही प्रभावित करता है | ग्लूकोमा की समस्या आमतौर पर व्यक्ति के आँखों के सामने वाले तरल पदार्थ में जमाव होने के कारण होता है |  यह समस्या जन्मजात से हो सकता है, साथ ही उन लोगो को होने के सबसे ज्यादा सम्भावना होती है, जिनके माता-पिता या फिर भाई-बहन पहले से ही इससे पीड़ित हो | 

    मोतियाबिंद भी एक किस्म का नेत्र रोग होता है, जो व्यक्ति की दृष्टि को ख़राब कर देती है | यह एक तरह के धुँधले धब्बे होते है जो आँखों  के लेंस पर विकसित होते रहते है | मोतियाबिंद की वजह से व्यक्ति आँखों में दृष्टि की कमी या फिर धुँधलापन आ जाता है | आमतौर पर इसकी वृद्धि लोगों को काफी प्रभावित करती है | यह विकसित तब होता है जब आँखों की लेंस पर प्रोटीन के गुच्छे बन जाते है और यह समय के साथ-साथ बड़े होते रहते है | यह समस्या एक या फिर दोनों आँखों में विकसित हो सकती है, लेकिन एक व्यकति की प्रत्येक आँख में एक या एक से अधिक मोतियाबिंद नहीं हो सकता है | 

    डॉक्टर सुमीत चोपड़ा ने यह भी बताया की शुरूआती दिनों में ग्लूकोमा के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते | हालाँकि ग्लूकोमा और मोतियाबिंद दोनों के ही कई सामान लक्षण होते है जैसे की आँखों की दृष्टि में धुँधलापन आना, दृष्टि के चारो और प्रभामंडल का दिखाई देना और रात में कम दिखाई देना आदि है, लेकिन इनमे से कुछ अंतर भी होते है | ग्लूकोमा की स्थिति में  आपको ब्लाइंड स्पॉट या फिर पैच दिखाई देने लगता है, जबकि मोतियाबिंद स्थिति में धुँधली या फिर बादलदार दृष्टि का अनुभव होने लगता है, जो रात में चकाचौंध हो जाता है | 

    इससे जुड़ी कोई भी जानकारी लेने के लिए आप चोपड़ा नेत्रालय नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है या फिर उनसे परामर्श भी कर सकते है | इस संस्था के डॉक्टर सुमीत चोपड़ा ऑप्थल्मोलॉजिट में एक्सपर्ट है जो इस समस्या से छुटकारा दिलाने में आपकी सहायता कर सकते है |