बता दें कि मोतियाबिंद यानी कि कैटरेक्ट यह आंखों की एक समस्या है, जो मुख्य रूप से उम्र बढ़ने पर देखने को मिलती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आमतौर पर, दुनिया भर में अंधेपन के लगभग 51% मामले मोतियाबिंद की वजह से होते हैं। आपको बता दें कि भारत में भी लगभग 80 % लोगों में किसी न किसी रूप में मोतियाबिंद की समस्या पायी जाती है। हालांकि इस मामले में अच्छी बात यह है, कि मोतियाबिंद का इलाज आज के समय में बहुत ज्यादा आसान और सुरक्षित है, पर कई लोगों के पास आमतौर पर इसकी जानकारी पूरी न होने की वजह से और डर के कारण इसके इलाज को टालते रहते हैं। आपके द्वारा इस तरह की लापरवाही को बरतना आपकी आंखों की सेहत पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। आइये इस लेख के माध्यम से इसके विशेषज्ञों से इसके बारे में विस्तार से जानते हैं, कि मोतियाबिंद का इलाज न करवाने पर कौन से गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
मोतियाबिंद का इलाज न करवाने के गंभीर परिणाम
1. दृष्टि पूरी तरह से कमजोर होना
आमतौर पर अगर मोतियाबिंद का उपचार सही समय पर न किया जाये, तो यह धीरे -धीरे आँखों की रौशनी को बुरी तरीके से प्रभावित कर सकता है। बता दें कि इसकी वजह से आपको शुरू में धुंधला दिखाई देना, चश्मे का नंबर बार-बार बदल जाना जैसे लक्षण दिखाई देने लग जाते हैं। पर इसकी वजह से आँखों की रौशनी वक्त के साथ इतनी ज्यादा कम हो सकती है, कि मरीज को सिर्फ उजाला या फिर अंधेरा ही महसूस होगा।
2. आंखों में दबाव का बढ़ना
दरअसल अगर कोई व्यक्ति मोतियाबिंद के उपचार में देरी करता है, तो उसकी वजह से उसकी आँखों में दबाव बढ़ सकता है, जिसके कारण उसको ग्लूकोमा होने जैसी समस्या का खतरा बना रहता है। आपको बता दें कि ग्लूकोमा एक इस तरह की स्थिति है, जो ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचाती है और यह नुकसान स्थायी हो सकता है।
3. आंखों की बीमारियों का खतरा
आपको बता दें कि अगर आप मोतियाबिंद का इलाज समय पर नहीं कहते हैं, तो इसकी वजह से आँखों में सूजन, लेंस का गिरना, रेटिना डिटैचमेंट या फिर यूवाइटिस जैसी समस्यायों का खतरा बढ़ जाता है। आमतौर पर इस तरह की स्थितियां, आंखों की रोशनी को और भी तेजी से नुकसान पहुंचा सकती हैं।
4. गिरने और चोट लगने का खतरा
मोतियाबिंद का उपचार सही समय पर न करवाने से आँखों की रौशनी धुंधली हो जाती है और धुंधली नजर की वजह से मरीजों में गिरने और चोट लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। बता दें कि बुजुर्गों में खासकर इस तरह की स्थिति काफी ज्यादा खतरनाक हो सकती है, क्योंकि इस उम्र में उनकी हड्डी टूटने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
5. जीवन की गुणवत्ता पर असर
समय पर मोतियाबिंद का इलाज न कराने से व्यक्ति की रोजमर्रा की जिंदगी बहुत ज्यादा प्रभावित होती है। आपको बता दें कि इस दौरान एक व्यक्ति को पढ़ने, गाड़ी चलाने, घर का काम करने और यहां तक कि चेहरों को पहचानना भी बहुत मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर यह मानसिक तनाव, डिप्रेशन और इसके साथ ही अकेलेपन का कारण भी बन सकता है।
6. सर्जरी में मुश्किल हो सकती है
मोतियाबिंद का इलाज टालने से मरीज की सर्जरी में मुश्किल आ सकती है। मान लो अगर आपको मोतियाबिंद का उपचार करवाने में किसी भी तरह की देरी हो जाती है, तो इस का ऑपरेशन करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है और इसके साथ ही मरीज को रिकवरी में ज्यादा समय लग सकता है।
कब कराना चाहिए मोतियाबिंद का इलाज?
1. दरअसल डॉक्टर की सलाह के अनुसार जैसे ही आपको मोतियाबिंद के लक्षण दिखाई दें, आपको वैसे ही अपना इलाज कराना चाहिए।
2. आपको बता कि आजकल फेको इमल्सीफिकेशन जैसी आधुनिक सर्जिकल तकनीकों से मोतियाबिंद का उपचार, आसानी और सुरक्षित तरीके से होना संभव है।
3. दरअसल इस तरह की सर्जिकल प्रक्रिया में टांके भी नहीं लगते और इसके साथ मरीज को 1 से 2 दिन में आराम मिल जाता है।
4. मोतियाबिंद के उपचार को टालना आमतौर पर आपकी आंखों की रोशनी और जीवन की गुणवत्ता दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए इस दौरान आपको इसके लक्षण दिखाई देते ही समय रहते अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और इसका सही इलाज करवाना चाहिए।
निष्कर्ष : मोतियाबिंद आंखों की एक समस्या है, जो मुख्य रूप से लोगों में उम्र बढ़ने पर देखने को मिलती है। मोतियाबिंद का इलाज आज के समय में बहुत ज्यादा आसान और सुरक्षित हो गया है। लोगों के पास इसकी जानकारी पूरी न होने की वजह से और डर के कारण इसके इलाज को टालते रहते हैं। जिसकी वजह से उनको आँखों में सूजन, दृष्टि पूरी तरह से कमजोर हो जाना, आंखों में दबाव का बढ़ना, लेंस का गिरना, गिरने और चोट लगने का खतरा बढ़ना, जीवन की गुणवत्ता पर असर और इसके साथ ही सर्जरी में मुश्किल आना जैसी कई तरह की समस्यायों का सामना करना पड़ सकता है। डॉक्टर के अनुसार अगर आपको मोतियाबिंद के लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और इसका सही इलाज करवाना चाहिए। अगर आपको भी आंखों में मोतियाबिंद की समस्या है और आप बिना देरी किये इसका इलाज करवाना चाहते हैं,और इसके बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप आज ही चोपड़ा नेत्रालय क्लिनिक में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके इलाज के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल।
प्रश्न 1. मोतियाबिंद कब खतरनाक होता है?
बता दें कि जब मोतियाबिंद की वजह से दृष्टि धुंधली हो जाए और रोजाना के कामों को करने में मुश्किल होने लगे, तो तब इसको खतरनाक माना जाता है। आमतौर पर इसका समय पर इलाज न कराया जाए, तो यह स्थायी दृष्टि हानि का कारण बन सकता है।
प्रश्न 2. क्या मोतियाबिंद एक गंभीर बीमारी है?
दरअसल मोतियाबिंद धीरे-धीरे व्यक्ति की नज़र को प्रभावित करता है और इलाज न कराने पर अंधेपन तक पहुंचा सकता है। हालांकि इसका इलाज संभव है और समय पर सर्जरी कर के आंखों की रोशनी को बचाया जा सकता है।
प्रश्न 3. मोतियाबिंद का पहला संकेत क्या है?
मोतियाबिंद का पहला संकेत दरअसल धुंधला दिखना और रात में रोशनी की चमक से दिक्कत होना है। इसके साथ ही रंग फीके नजर आना भी इसका शुरुआती लक्षण हो सकता है।