ग्लूकोमा और मोतियाबिंद दोनों ही आंखों से जुड़ी एक ऐसी गंभीर समस्या है, जिसकी वजह से ऑप्टिक तंत्रिका पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है | ग्लूकोमा समस्या तब उत्पन्न होती है जब आपके आँखों के सामने वाले हिस्से में तरल पदार्थ जमा होने लग जाती है और मोतियाबिंद समस्या तब उत्पन्न होती है जब आँखों की रौशनी में धीरे-धीरे धुँधलापन आने लगता है,जिससे पीड़ित मरीज़ की धुँधला दिखाई देने लगता है और इसके साथ ही देखने की क्षमता भी कम हो जाती है |
चोपड़ा नेत्रालय के सीनियर कंसलटेंट और निदेशक डॉक्टर सुमीत चोपड़ा ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह बताया की आँखों में मोतिया दो प्रकार के होते है जिसमे से पहला होता है कैटरेक्ट जिसे सफ़ेद मोतिया भी कहा जाता है और दूसरा होता है ग्लूकोमा जिससे काला मोतिया भी कहा जाता है | अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा की दोनों में अंतर क्या है, आइये जानते है |
डॉक्टर सुमीत चोपड़ा ने बताया की ग्लूकोमा और कैटरेक्ट के बीच अंतर केवल इतना है की जो ग्लूकोमा होता है उसमे ऑप्टिक तंत्रिका के सामने काले रंग के ऐसे तरल पदार्थ जमने लग जाते है जिससे पीड़ित व्यक्ति की आँखों की दृष्टि कमज़ोर होने लग जाती है और साथ ही धुँधलापन भी आने लगता है और जो कैटरेक्ट होता है उसमे धीरे-धीरे आँखों के सामने वाली परत में सफ़ेद तरल पदार्थ आने लग जाता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति की आँखों की दृष्टि में धुँधलापन आ जाता है | आइये जानते है यह दोनों समस्या उत्पन्न क्यों होती है :-
कैटरेक्ट समस्या उत्पन्न होने की सबसे मुख्य वजह है बढ़ती उम्र या फिर बुढ़ापा आना, ऐसे और भी कई गंभीर बीमारी होती है जिससे यह मोतियाबाँध की समस्या उत्पन्न हो जाती है जैसे की डॉयबिटीज | स्टेरिओड्स से भी मोतियाबिंद की समस्या हो जाती है, इसके साथ ही अस्थमा की समस्या, जोड़ों में दर्द आदि | इसके अलावा जन्मजात में भी कई कारणों से कई बच्चों को मोतियांबिंद समस्या होने का खतरा हो सकता है, यह तब होता है जब महिला ने गर्भावस्था के दौरान कई तरह के मोहियाँ का सेवन किया होता है | आइये जानते है यह समस्या होने के मुख्य लक्षण क्या है :-
डॉक्टर सुमीत चोपड़ा ने बताया की यह समस्या उत्पन्न होने के मुख्य लक्षण है, सबसे पहले तो इससे समस्या से पीड़ित सभी मरीज़ को धुँधला नज़र आने लगता है, कई मामले ऐसे होते है मरीज़ को आँखों में तीव्र दर्द होने लगता है यह दर्द तब होता है जब सफ़ेद मोतिया पाक कर काले मोतिये में परिवर्तित हो जाती है, जिसका सही समय में इलाज करवाना बेहद आवश्यक होता है, अगर सही समय पर इलाज न करवाया गया तो इससे पीड़ित व्यक्ति की आँखों की रौशनी भी जा सकती है | इस समस्या का इलाज कैसे करवाएं और कैसे इस समस्या से आप निजात पा सकते है, यह आपको सही जाँच-पड़ताल के बाद ही डॉक्टर बता सकते है |
यदि इससे संबंधित पूरी जानकारी लेना चाहते है तो आप चोपड़ा नेत्रालय नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है, इस चैनल पर इस विषय संबंधी पूरी जानकारी पर वीडियो बनाकर पोस्ट की हुई है | इसके अलावा आप सीधा चोपड़ा नेत्रालय से भी संपर्क कर सकते है | इस संस्थान के निदेशक और सीनियर कंसलटैंट डॉक्टर सुमीत चोपड़ा ऑप्थल्मोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट है जो इस समस्या को कम करने मेंआपकी मदद कर सकते है |