बहुत से लोगों का यह मानना है की आंखों का भेंगापन एक स्थायी समस्या है, जिसका इलाज नहीं किया जा सकता, लेकिन आपको बता दें आंखों के भेंगापन का स्थायी रूप से इलाज किया जा सकता है | आइये जानते है, आंखों के भेंगापन के बारे में विस्तारपूर्वक से :-
आंखों का भेंगापन होना क्या होता है ?
आंखों का भेंगापन जिसे स्ट्रैबिमस भी कहा जाता है, यह एक ऐसी स्थित है, जिसमें एक व्यक्ति की दोनों आंखें अलग-अलग दिशाओं की तरफ देखती है | यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब आंखों को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियां या फिर एक से ज़्यादा मांसपेशियां ठीक से काम करना बंद कर देती है | ज्यादातर मामलों में आंखों का भेंगापन बचपन में होता है, लेकिन यह किसी भी वर्ग के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है |
आंखों का भेंगापन से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातें :-
- भेंगापन में एक आंख अंदर, बाहर, ऊपर और नीचे की तरफ घूम सकती है, लेकिन दूसरी आंख केवल सामने की तरफ ही देखती है |
- भेंगापन हमेशा या फिर कभी कभी हो सकता है |
- भेंगापन कभी भी खुद से ठीक नहीं होता, इसके इलाज करवाने की आवश्यकता होती है |
- इसके उपचार में चश्में, कांटेक्ट लेंस और सर्जरी की ज़रुरत पड़ सकती है |
- भेंगापन का इलाज करना बेहद ज़रूरी है, यदि समय पर इलाज न किया गया तो इससे नज़र की कमी और नज़र के स्थायी लोप की समस्या हो सकती है |
- यदि बचपन में अपने भेंगापन का इलाज करवा लिया है तो यह आपके वयस्क में फिर से उभर कर आने की संभावना होती है |
आंखों का भेंगापन के मुख्य लक्षण
- दोनों आंखों का एक साथ एक बिंदु पर फोकस न कर पाना |
- दोहरी दृष्टि का दिखाई देना |
- आंखें आकस्मिक दिखाई देती है |
- पास की चीज़ पर ध्यान केंद्रित करते समय एक आंख का बंद कर लेना
- सिरदर्द होना
- कुछ भी पढ़ने में दिक्कत होना
- बार-बार आंखें को झपकना या फिर आंखें सिकोड़ना
- आंखें पर ज़ोर देना
- दूर की चीज़ों को देखते समय या फिर तेज़ रौशनी पर आंखों का बंद कर लेना आदि |
आंखों का भेंगापन होने के मुख्य कारण
अधिकतर मामलों में आंखों के भेंगापन की समस्या जन्मजात से ही होती है, लेकिन कई बार, कुछ बीमारियां और दुर्घटनाएं भी भेंगापन का कारण बन सकते है |
- जन्मजात विकृति :- बच्चों में भेंगापन के अधिकतर मामले जन्मजात से ही होते है | गर्भ में शारीरिक विकास में आये समस्या के कारण मस्तिष्क, आंखे, मांसपेशियां और तंत्रिकाओं में संचार असामन्य हो जाती है, जिससे दोनों आंखों का तालमेल प्रभावित हो जाता है |
- अनुवांशिक :- यदि आपके परिवार में किसी को भेंगापन की समस्या है तो इससे आपके नवजात शिशु में होने की आशंका बढ़ सकती है |
- दुर्घटना के कारण :- किसी दुर्घटना के कारण या फिर मस्तिष्क में लगे चोट लगने से आंखों की तंत्रिकाएं और आंखों के परदे क्षतिग्रस्त हो सकते है |
- आंखों से जुड़ी समस्या होना :- आंखों से संबंधित समस्या जैसे कि निकट दृष्टिकोण, दूर दृष्टिकोण, एस्टिग्मेटिज़्म के कारण भेंगापन की समस्या हो सकती है |
- वायरस के कारण :- संक्रमण जैसे वायरल बुखार, चेचक, खसरा, मेनेंजाइटिस आदि के कारण भी भेंगापन होने की आशंका बढ़ जाती है |
- अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं :- मस्तिष्क से जुड़े विकार, ट्यूमर, स्ट्रोक, डायबटीज़ आदि समस्याओं से भी भेंगापन के अवसर बढ़ सकते है |
आंखों के भेंगापन से कैसे पाएं मुक्ति ?
अगर शुरुआती चरणों में ही इसका मूल्यांकन हो जाये उपचार अधिक प्रभावी रहता है, क्योंकि स्थिति गंभीर होने पर इसका पूर्ण रूप से उपचार नहीं किया जा सकता है | वैसे तो इसका इलाज किसी भी उम्र में किया जा सकता है, लेकिन 6 साल की उम्र तक उपचार करवाना काफी प्रभावी सिद्ध हो सकता है | जब किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या के कारण भेंगापन की समस्या होती है तो उसका सही समय पर इलाज करवाना बेहद ज़रूरी होता है |
यदि आप में से कोई भी व्यक्ति या फिर बच्चा आंखों के भेंगापन से पीड़ित है और स्थायी रूप से अपना इलाज करवाना चाहते है तो इसमें चोपड़ा नेत्रालय आपकी पूर्ण से मदद कर सकता है | इस संस्था में मौजूद डॉक्टर पंजाब के बेहतरीन ऑप्थल्मोलॉजिस्ट में से एक है, जो पिछले 22 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही चोपड़ा नेत्रालय की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करवाए | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से भी संपर्क कर सकते है |